Kavita / Shayari
नूतन नववर्ष
अब न कहीं युद्ध होगान रहेगी अशान्ति।न कोरोना होगान ही किसी को रोना होगान होगी महामारीचहुँओर चहकेगी किलकारीन अपनो को खोना होगान ही किसी की आँख आँसुओं से भिगोना होगा ।जो गिरे हैवे पूर्ण मनोवेग से उठेंगेचाहें व्यक्ति हों या अर्थ ।कोशिशें अब नहीं होंगीव्यर्थ ।चाहे समर्थ हो या असमर्थ Read more…