Kavita / Shayari
ये जो किताब है महज़ किताब नहीं
तुम्हारे औरमेरे जीवन कीकुछ अनकहीबातें लिखी हैइसकिताब में… अव्यक्तवेदना कीचादर से लिपटेचंदएहसास हैं… यूँतो तुमनेकिताबेंपढ़ी होगीअनगिनत… मगरकुछ तुम्हारीकुछ मेरी अनपेक्षितउपेक्षा लिखीहुई हैजीवन केसारांश की तरह मुड़े हुएइन दो पन्नों पर… © चंचलिका